Media and social activists role in External affairs
पाकिस्तान के दुस्साहस को गंभीरता से ले सरकार, ढुलमुल रवैया मंजूर नहीं
नई
दिल्ली. 9 जनवरी. भारत-पाक नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी
के बाद उनके सैनिकों द्वारा भारत की सीमा में घुसकर दो जवानों की
बर्बरतापूर्ण हत्या से देश सन्न है. पड़ोसी देश के सैनिक सीमा पारकर घुस आए
और हमारे जवानों को गोली मारने के बाद उनका अंग भंग करने का दुस्साहस
किया, यह बात
चिंताजनक है. इससे सीमा पर हमारे इंतजामों को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े
होते हैं.
इतनी बड़ी घटना के बाद भारत सरकार की ओर से जो प्रतिक्रियां मिल रही है वह बहुत ज्यादा निराश करने वाली है. सरकार ने “यह हरकत मंजूर नहीं” जैसा
बयान देकर बस रस्मअदायगी कर दी है लेकिन उसकी ओर से न तो ऐसा कोई बयान और न
ही कोई पहल दिखी है जिससे
देश इस बात के लिए आश्वस्त हो सके कि ऐसी घटनाएं भविष्य में फिर नहीं
होंगी. चिंता इसलिए और बढ़ जाती है क्योंकि ऐसी घटनाएं 1999 में करगिल में
ही थीं और उसके बाद देश को एक युद्ध झेलना पड़ा था.
सरकार ने कहा कि वह इस घटना को पाकिस्तान सरकार के सामने उठाएगी और हर जरूरी कदम उठाएगी. देश जानना चाहता है कि सरकार क्या कार्रवाई करने जा रही है? सरकार स्पष्ट करे कि कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से पाकिस्तान को क्या संदेश देने वाली
है ताकि ऐसी घटनाएं फिर न हो सकें?
क्या सरकार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस प्रश्न को उठाने का मन बना रही है?
आम आदमी पार्टी देश के दो जवानों की शहादत को नमन करती है लेकिन सरकार का रवैया निराशाजनक
है. आम आदमी पार्टी का मानना है देश की सत्ता जब इंडिया गेट पर अपने ही
नागरिकों के विरुद्ध युद्ध में व्यस्त हो तो देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे
जवानों को इसकी कीमत अपने बलिदान से
चुकानी पड़ती है.
आम
आदमी पार्टी मांग करती है कि सरकार तत्काल ऐसे प्रयास करे जिससे देश की
सीमा पर डटे जवानों की मनोबल बना रहे. प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री
पाकिस्तान को दो टूक संदेश दें और देश को यह भरोसा दिलाएं कि ऐसी घटनाएं
दोहराई नहीं जाएंगी.
Comments
Post a Comment