BOTH MAYA N AKHILESH FAIL TO CONTAIN RIOTS IN UP
30102014
Both Maya n Akhilesh fail to contain riots in UP.
मायावती हों या अखिलेश यादव, दोनों सीएम यूपी के दंगों पर लगाम लगाने में
पूर्णतया विफल : Compared to year 2010, riots in UP increase by 19.97%
in 2011, by 35.57% in 2012 & by 45% in 2013 साल 2010 के मुकाबले 2011
में 19.97%,2012 में 35.57% और 2013 में 45% बढ़ीं हैं दंगों की घटनाएं :
UP Govt. is a mere ‘Riots Bank’ महज ‘दंगा बैंक’ बनकर रह गयी है यूपी
की सरकारें
पूर्णतया विफल : Compared to year 2010, riots in UP increase by 19.97%
in 2011, by 35.57% in 2012 & by 45% in 2013 साल 2010 के मुकाबले 2011
में 19.97%,2012 में 35.57% और 2013 में 45% बढ़ीं हैं दंगों की घटनाएं :
UP Govt. is a mere ‘Riots Bank’ महज ‘दंगा बैंक’ बनकर रह गयी है यूपी
की सरकारें
जी हाँ l उत्तर प्रदेश में चाहें मायावती हों या अखिलेश यादव, ये दोनों
ही सीएम के रूप में दावे तो बड़े बड़े करते रहे पर यूपी के दंगों पर लगाम
लगाने में पूर्णतः विफल ही रहे हैं l इस कड़वी हक़ीक़त का खुलासा सामाजिक
संस्था ‘तहरीर’* के संस्थापक ई० संजय शर्मा की एक आरटीआई पर राष्ट्रीय
अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के जन सूचना अधिकारी के० पी० उदय शंकर द्वारा दिए
गए एक जबाब से हुआ है l
ही सीएम के रूप में दावे तो बड़े बड़े करते रहे पर यूपी के दंगों पर लगाम
लगाने में पूर्णतः विफल ही रहे हैं l इस कड़वी हक़ीक़त का खुलासा सामाजिक
संस्था ‘तहरीर’* के संस्थापक ई० संजय शर्मा की एक आरटीआई पर राष्ट्रीय
अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के जन सूचना अधिकारी के० पी० उदय शंकर द्वारा दिए
गए एक जबाब से हुआ है l
*’तहरीर’ { Transparency, Accountability & Human Rights’ Initiative
for Revolution – TAHRIR } लोक जीवन में पारदर्शिता संवर्धन, जबाबदेही
निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के हितार्थ उत्तर प्रदेश
में जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था है l
for Revolution – TAHRIR } लोक जीवन में पारदर्शिता संवर्धन, जबाबदेही
निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के हितार्थ उत्तर प्रदेश
में जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था है l
संजय को उपलब्ध कराई गयी सूचना के अनुसार उत्तर प्रदेश में साल 2010
में 4186,साल 2011 में 5022 ,साल 2012 में 5676 और साल 2013 में
दंगों की 6089 घटनाएं सरकारी आंकड़ों में दर्ज हैं l गौरतलब है कि वर्ष
2010 से मार्च 2012 तक सूबे की कमान मायावती के हाथ में थी और मार्च 2012
से वर्ष 2013 तक की अवधि में अखिलेश यादव सूबे के मुखिया रहे हैं lइन
आकड़ों से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में साल 2011 में साल 2010 के
मुकाबले दंगों की 836 अधिक घटनाएं (19.97%) हुईं l साल 2012
में साल 2010 के मुकाबले दंगों की 1489 अधिक घटनाएं (35.57%) हुईं तो
वही साल 2013 में साल 2010 के मुकाबले दंगों की 1903 अधिक घटनाएं
(45%) हुईं हैं l
में 4186,साल 2011 में 5022 ,साल 2012 में 5676 और साल 2013 में
दंगों की 6089 घटनाएं सरकारी आंकड़ों में दर्ज हैं l गौरतलब है कि वर्ष
2010 से मार्च 2012 तक सूबे की कमान मायावती के हाथ में थी और मार्च 2012
से वर्ष 2013 तक की अवधि में अखिलेश यादव सूबे के मुखिया रहे हैं lइन
आकड़ों से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में साल 2011 में साल 2010 के
मुकाबले दंगों की 836 अधिक घटनाएं (19.97%) हुईं l साल 2012
में साल 2010 के मुकाबले दंगों की 1489 अधिक घटनाएं (35.57%) हुईं तो
वही साल 2013 में साल 2010 के मुकाबले दंगों की 1903 अधिक घटनाएं
(45%) हुईं हैं l
संजय कहते हैं कि इन आकड़ों के साल-दर-साल विश्लेषण से भी यह स्पष्ट है
कि उत्तर प्रदेश में साल 2011 में साल 2010 के मुकाबले दंगों की 836
अधिक घटनाएं ( 19.97%) हुईं l साल 2012 में साल 2011 के मुकाबले
दंगों की 654 अधिक घटनाएं ( 13.02%) हुईं तो वही साल 2013 में साल
2012 के मुकाबले दंगों की 413 अधिक घटनाएं (6.78%) हुईं हैं जो यह
सिद्ध कर रहा है कि साल 2010 से 2013 तक यूपी में लगातार दंगों की घटनाओं
में वृद्धि ही हो रही है और फिर चाहें वह मायावती के नेतृत्व में बनी
बहुजन समाज पार्टी की सरकार हो या अखिलेश यादव के नेतृत्व में बनी
समाजवादी पार्टी की सरकार, सभी सरकारें दंगे रोकने के मामले में महज
कोरी वयानवाजी कर जनता को गुमराह ही करती रही हैं और दंगों को रोकने में
पूर्णतया विफल रही हैं l
कि उत्तर प्रदेश में साल 2011 में साल 2010 के मुकाबले दंगों की 836
अधिक घटनाएं ( 19.97%) हुईं l साल 2012 में साल 2011 के मुकाबले
दंगों की 654 अधिक घटनाएं ( 13.02%) हुईं तो वही साल 2013 में साल
2012 के मुकाबले दंगों की 413 अधिक घटनाएं (6.78%) हुईं हैं जो यह
सिद्ध कर रहा है कि साल 2010 से 2013 तक यूपी में लगातार दंगों की घटनाओं
में वृद्धि ही हो रही है और फिर चाहें वह मायावती के नेतृत्व में बनी
बहुजन समाज पार्टी की सरकार हो या अखिलेश यादव के नेतृत्व में बनी
समाजवादी पार्टी की सरकार, सभी सरकारें दंगे रोकने के मामले में महज
कोरी वयानवाजी कर जनता को गुमराह ही करती रही हैं और दंगों को रोकने में
पूर्णतया विफल रही हैं l
सूबे में दंगों की संख्या में हो रही बेतहाशा उत्तरोत्तर वृद्धि पर तंज
कसते हुए संजय कहते है कि इतनी तेजी से तो बैंक में रखा पैसा भी नहीं
बढ़ता है और सरकार को दंगों का उच्च व्याजदर पर डिपाजिट कर जनता को व्याज
समेत बापस करने बाले ‘दंगा बैंक’ की संघ्या दी है l l
कसते हुए संजय कहते है कि इतनी तेजी से तो बैंक में रखा पैसा भी नहीं
बढ़ता है और सरकार को दंगों का उच्च व्याजदर पर डिपाजिट कर जनता को व्याज
समेत बापस करने बाले ‘दंगा बैंक’ की संघ्या दी है l l
दंगों को उत्तर प्रदेश के सामाजिक और आर्थिक विकास के रास्ते की सबसे बड़ी
वाधा बताते हुए संजय ने कहा कि दंगों के परिपेक्ष्य में प्रशासनिक अमले
और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की स्पष्ट जबाबदेही के अभाव के कारण ही
प्रशासनिक अमला और स्थानीय जनप्रतिनिधि दंगों को रोकने के उपायों के
क्रियान्वयन के प्रति गंभीर नहीं हैं और सरकारें भी दंगे हो जाने के बाद
महज सरकारी खानापूर्ति कर मामले की इतिश्री कर देती हैं पर दंगों का असली
दंश स्थानीय जनता सालों साल झेलती रहती है l
वाधा बताते हुए संजय ने कहा कि दंगों के परिपेक्ष्य में प्रशासनिक अमले
और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की स्पष्ट जबाबदेही के अभाव के कारण ही
प्रशासनिक अमला और स्थानीय जनप्रतिनिधि दंगों को रोकने के उपायों के
क्रियान्वयन के प्रति गंभीर नहीं हैं और सरकारें भी दंगे हो जाने के बाद
महज सरकारी खानापूर्ति कर मामले की इतिश्री कर देती हैं पर दंगों का असली
दंश स्थानीय जनता सालों साल झेलती रहती है l
संजय ने अब दंगों के परिपेक्ष्य में प्रशासनिक अमले और स्थानीय
जनप्रतिनिधियों की स्पष्ट जबाबदेही के निर्धारण के लिए सामाजिक संस्था
‘तहरीर’ के माध्यम से एक व्यापक मुहिम चलाने का ऐलान करते हुए इस
सम्बन्ध में देश के प्रधानमंत्री , गृहमंत्री और सूबे के राज्यपाल,
मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रशासनिक अमले और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को
दंगों को रोकने के उपायों के क्रियान्वयन के प्रति गंभीर बनाने हेतु
उनकी स्पष्ट जबाबदेही का निर्धारण करने हेतु नियम-कानून बनाने की मांग
करने का भी ऐलान किया है l
जनप्रतिनिधियों की स्पष्ट जबाबदेही के निर्धारण के लिए सामाजिक संस्था
‘तहरीर’ के माध्यम से एक व्यापक मुहिम चलाने का ऐलान करते हुए इस
सम्बन्ध में देश के प्रधानमंत्री , गृहमंत्री और सूबे के राज्यपाल,
मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रशासनिक अमले और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को
दंगों को रोकने के उपायों के क्रियान्वयन के प्रति गंभीर बनाने हेतु
उनकी स्पष्ट जबाबदेही का निर्धारण करने हेतु नियम-कानून बनाने की मांग
करने का भी ऐलान किया है l
आरटीआई जबाब की स्कैन्ड प्रति इस मेल के साथ अटैच्ड है l
–
Urvashi Sharma
Founder & Chief Coordinator-UPCPRI
http://upcpri.hpage.com/
Uttar Pradesh Campaign to Protect RTI
http://upcpri.blogspot.in/
Lucknow-India
Urvashi Sharma
Founder & Chief Coordinator-UPCPRI
http://upcpri.hpage.com/
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Lucknow-India
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